भगवानो मैं शिव ही एक ऐसे भगवान है जो अपने भक्तो पर जल्दी प्रसन्न होते है, इसी लिए उन्हे भोलेनाथ भी कहा जाता है। हिन्दूओ में शंकर को बोहोत माना जाता है और रामायण में भी कहा गया है की शिवजी की सेवा – पूजा के बिना तुम्हारी सारी भक्ति बेकार है।
शंकर जी का जेसे नाम महान है वेसे ही वोभी महान है – तो चलो आज शंकर जी से हम 5 बाते सीखते है, बोलो भक्तो ” ॐ नमः शिवाय “
1. भगवान शंकर के गले मे सर्प माला सिखाती है की, जीवन में अहंकार को नियंत्रण मैं रखना शुरू कीजिए – अपने EGO को काबू करे।
भगवान कहते है की देने वाला “राम” है और लेने वाला भी “राम” है – तो मनुष्य तुम किस चीज़ का अभिमान करते हो।
2. भगवान शंकर की तीसरी आख सिखाती है की, जीवन में त्रि नेत्र का उपयोग कीजिए, यानि की विवेक के साथ चीज़ों को देखना शुरू कीजिए ( विवेक से निर्णय लीजिए )।
कई बार चिजे हमे गलत दिखाई देती है और हम गलत फेसरे ले बेथते है। ऐसी परिस्थिति में हमे विवेक से और शांति से निर्णय लेना जाहिए जिसके वजे से हमे कोई मुसकेरी का सामना करना ना पड़े।
3. भगवान शंकर नीलकंठ है जिस तरह से उन्होने विष को पी लिया वेसे ही क्रोध को पीना शुरू कीजिए। – हमे मालूम है, क्रोध तो भावगन को भी आता है तो हम तो इंसान है हमे भी क्रोध तो आएगा ही, लेकिन आपने देखा हो तो क्रोध कभी अच्छा काम करके नहीं जाता। वो हमारा संबंद, भाईबंदी, व्यवहार बिगाड़ के ही जाता है।
इसलिए आगे से क्रोध आए तो यह सोचिए की सामने वाला इंसान आपके लिए क्या माइने लगता है – फिर अपने भगवान को याद करे = मे सच बोलता हु बस यह दो चीज़ करने से आपको क्रोध कभी नहीं आएगा।
4. चोथी जो चीज़ है जो हमे भगवान शंकर से सीख सकते है वो है की, शंकर के मस्तक पर जिस तरह चंद्रमा है – आप अपने मन को चंद्रमा के तरह शांत रखना शुरू कीजिए। = मैं मानता हु की मन को शांत रखना आसान नहीं है लेकिन दुनिया में ऐसी कोई चीज़ नहीं है जो शंकर का भक्त ना कर सके।
हर वक्त हस्ते रहो और जितनी हो सके – जेसी हो सके भगवान की भक्ति, सेवा करो = आपका मन अपने आप शांत हो जाएगा
5. भगवान शंकर के परिवार में सबके वाहन अलग अलग है, शिवजी के नंदी है और उनके पास नाग ( वासुकि ) भी है, पार्वती माँ के पास शेर है, कार्तिकेय के पास मोर है और हमारे गणपती जी के पास चूहा है – इन सबके व्यवहार अलग अलग है परिवार के बाहर की दुनिया में यह सब एक दूसरे के दुश्मन है लेकिन वो बाहर की दुनिया की बात है परिवार में आके सब एक दूसरे पे प्यार बरसाते है और समीप प्रेम से रहते है।
वेसे ही आपके परिवार के बाहर की दुनिया में ‘मतलब की काम-धाम में, धंधे में, बाहर की मित्रता, बाहर के व्यवहार जेसे भी हो लेकिन परिवार मैं आके अपने माता-पिता, भाई-बहन के साथ प्रेम से रहिए गा। घर के बाहर का व्यवहार घर के अंडर मत लाना। परिवार परिवार है – बाहर की दुनिया बाहर की दुनिया है दोनों मैं बोहोत अंतर है इस अंतर को बनाए रखिए गा।
जिधर जेसा व्यवहार चलता है उधर वेसा ही व्यवहार रखना।
आप यह वैभवलक्ष्मी व्रत का चमत्कार पढ़ सकते हो = २ – खोये हुए हीरे वापस मिले : वैभवलक्ष्मी माँ ।
आपको मालूम ही होगा की sub-conscious mind कितना पावर-फूल होता है लेकिन सब को यह पावर बनाए रखना नहीं आता अगर आपको भी अवचेतन मन की शक्ति को बनाए रखना है तो यहा क्लिक कर पढ़ सकते हो अवचेतन मन (Sub-conscious mind) को बनाए केसे रखे