राम के पिता दशरथ थे उनको कोई बच्चे नहीं थे – उस समय राजा का फर्ज बनता था के वो अपने पेढ़ी को आगे बढ़ाए। लेकिन दशरथ राजा को बच्चा नहीं था इस लिए ऋषि श्रृंग के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ करवाया जा रहा था।
ऋषि श्रृंग के द्वारा राजा दाशरथ के अश्वमेघ यज्ञ की तैयारी केसी की गई थी यह जानने के लिए आप ” राम जी के जन्म के लिए अश्वमेघ यज्ञ की तैयारी.. ” यहा क्लिक करके पढ़ सकते हो।
आओ अब हम यह देखे की राम रावण से केसे जुड़े थे,
राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए, ऋषि ऋष्यश्रृंगा द्वारा किया, अश्वमेध यज्ञ इतना ताकतवर था कि, स्वर्ग में, देवी, देवता, गंधर्वा और सिद्ध अपना भाग या offerings लेने खुद पहुंचे। ऐसा लग रहा था की पूरा स्वर्ग पृथ्वी के आस-पास आ कर खड़ा हो गया था। साक्षात ब्रह्मा भी वहाँ आए। तब सभी ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा देव को अपनी तकलीफ़ सुनाई।
उन्होंने कहा की रावण नाम के दैत्य ने तीनों लोकों में त्राहि-त्राहि मचाई था। ब्रह्मदेव के दीए वर से रावण इतना शक्तिशाली बन गया था कि सूरज भी उसे जला नहीं पाता, समंदर की लहरें उसे देख कर रुक जाती थी। देवों ने ब्रह्मदेव से ही प्रार्थना की कि इस राक्षस को रोकने के लिए कोई उपाय निकालें।
तब ब्रह्मदेव ने कहा की अब समय आ गया है की रावण को उसके कर्मो की सजा मिले। ओर ब्रह्मदेव ने आगे कहा की जब रावण मुझसे वर मांग रहा था तब उसने सब का नाम लिया था की इन-इन से मेरी मृत्यु नही होनी जाहिए लेकिन उसने मनुष्य का नाम नहीं लिया था क्यूकी उसे लगता था की मनुष्य मेरा क्या बिगाड़ लेगा, यह सब बाते ब्रह्मदेव ने देवो को ओर सब लोगो को बता रहे थे उसी समय वहा भगवान विष्णु अपने गरुड़ पर बेथ कर वहा आ पहुचे।
सभी देवो ने भगवान विष्णु से प्राथना की, की वह रावण का कोई हल निकाले। भगवान विष्णु ने पूछा तीनों लोक को रावण से मुक्त करने के लिए मुजे क्या करना होना। तब सब देवो ने कहा प्रभु आप पृथ्वी पर मनुष्य का रूप लीजिए ओर रावण का अंत कर दीजिए, क्यूकी ब्रह्मदेव के वर के अनुसार सिफ़ कोई इंसान या मनुष्य ही रावण को मार सकता है।
भगवान विष्णु ने कहा तथास्तु मे ‘राजा दशरथ के पुत्रो के रूप मे जन्म लुगा।