दोस्तो, आज में आपको राम जी के जन्म से जुड़ी कुछ बाते बताने वाला हु तो आइए ‘रामजी का नाम लेके शुरू करते है – जय श्री राम
रामजी के पिता दशरथ। उनको बच्चे नहीं थे लेकिन वह बोहोत समृद्ध राजा थे। बच्चे की बात बहुत सोच विचार के बाद, राजा दशरथ ने अपने सारथी सुमंत्र की सलाह मांगी। जवाब में सुमंत्र ने ऋष्यश्रुंगा ऋषि की कहानी उन्हें सुनाई ओर उनके पास यज्ञ करवाने की बात हुई। ऋषि श्रुंगा ओर और बोहोत सारे विधवान साधु, पंडितो के पास अश्वमेघ यज्ञ कराया गया।
पृथ्वी पर, अश्वमेघ यज्ञ के अंत की और जब राजा दशरथ ने पवित्र अग्नि में आहुति दी तब उस आग से एक तेजस्वी सृजन बाहर आए। उन्होंने दशरथ से कहा कि मैं वैकुंठ लोक से भगवान विष्णु का संदेश लेकर आया हूं। तुम्हारा अश्वमेध यज्ञ सफल रहा। आशीर्वाद स्वरूप तुम्हें यह पायसम भेजा गया है। इसे खाने से तुम्हे उत्तम स्वास्थ्य मिलेगा और तुम्हारी पत्नियों को इस ही प्रसाद से बच्चे मिलेगी।
आओ अब राम ओर उनके भाई के जन्म का समय ओर नक्षत्र देखे – अयोध्या में, राम और उनके भाइयों का जन्म। छः ऋतुओं या बारह महीनों के बाद, चैत्र महीने में महारानी कौशल्या के घर राम का जन्म हुआ। कैकई के घर भरत पैदा हुए। तथा सुमित्रा के घर शत्रुघ्न और लक्ष्मण, यह जुड़वा बच्चे पैदा हुए। भरत का जन्म पुष्य नक्षत्र में और लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न का जन्म आश्लेषा नक्षत्र में हुआ। कमाल की बात ये है कि आज भी चैत्र महीने के नौवे दिन हम रामनवमी मानते हैं।
ग्यारवे ( 11 ) दिन सब बच्चो का नाम करण किया गया था।
जिस दिन राम ओर उनके भाइयो का जन्म हुआ, उस दिन अयोध्या में सब बोहोत खुश थे गरीबो को घन दिया गया, ढ़ोल – वाजीन्त्रो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे था, अयोध्या कोई नई दुरहन के तरह सजी हुई दिख रही थी, ओर वहा स्व्रग मे भी आनद कुछ कम नहीं था क्यू की अब रावण के अंत की शुरुआत होती नजर आ रही थी।
जब राम का जन्म हुआ था तब देवो ने ओर गंधर्व ने एक वाक्य बोला था, ‘तो चलो आज हम इंसान उसी वाक्य को वापिस बोलते है तो आओ मेरे साथ ओर बोलो ” सियावर रामचन्द्रकी जय। “