हर हर महादेव भक्तो ! हम आज बात करने वाले है की शिव मंदिर में तीन बार ताली क्यों बजाई जाती है और बजाने से क्या हुआ है और क्या होता है।
शिव मंदिर मैं तीन बार ताली बजाने का प्रमाण है,
पहेली ताली – शिव को उपस्थिती बताने के लिए बजाई जाती है।
दूसरी ताली – हम अगर शंकर से कुछ ना मांगे तो भी शिव हमारे घर मैं भंडार भरे।
तीसरी ताली – शिव की सरनागति प्राप्त करने।
लंका पति रावण ने तीन बार ताली बजाई थी तो उसे लंका का राजय प्राप्त हुआ था। भगवान कृष्ण के यहा 16108 रानीया थी – संतान नही, तब एक एक रानी के साथ बेथ कर शिवलिंग पर अभिषेक किया और तीन बार ताली बजाई तब ‘1,77,186’ भगवान कृष्ण के घर मैं बच्चे हुए, शिव के कृपा से।
श्री राम भगवान जब शेतू बांधने के लिए कार्य कर रहे थे और शेतू बन नही रहा था, तब भगवान राम ने भी शिवलिंग के सामने तीन बार ताली बजा कर भगवान शंकर को रिजाया था। और कहा की पत्थर पर राम नाम लिखे पत्थर पानी मे तरेगा ओर राह मिलना चालू हो गया।
भगवान शंकर अमरनाथ गुफा में बेथ कर पार्वती जी को जब अमर कथा सुना रहे थे, तब वहा भी भगवान शंकर ने तीन बार ताली बजाई – तो पक्षी उद गए पर एक तोते का अंडा नीचे गिर गया था। उस तोते के उंडे मैं से तोते का बच्चा बाहर निकल गया था। उस तोते ने अमर कथा सुन ली थी। तोते के बच्चे का नाम ही सुकदेव हुआ था।
भक्तो, शिव को चड़ाने के लिए आपके पास बेलपत्र नही हो, आपके पास जल नही हो, आपके फूल नही है, आपके पास चड़ाने के लिए कुछ नही है – आप मन से, प्रेम से, भाव से, नम्र हो कर तीन बार ताली का नाद तो कीजिए : शिव भगवान प्रसन्न भंडारा भर कर भेजेंगे।
यहा क्लिक करके आप ” महा शिवरात्रि व्रत की प्रोराणिक कथा ” को पढ़ सकते है। जो सच्ची और प्रोराणिक कथा है, की ” गुह ” भगवान शंकर के आशीर्वाद से त्रेयतायुग मैं भगवान राम का मित्र बना।
धनलक्ष्मी माँ के “वैभवलक्ष्मी व्रत” का यह चमत्कार आपको जरूर से पढ़ना चाहिए, 7. खोया हुआ बच्चा वापस मिला! वैभवलक्ष्मी माँ का चमत्कार